...

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आज फिर से बरसात
आज फिर से बरसात हुई
फिर भी कम न हुआ रास्तों की मुश्किल

बदल लेती है जो स्वरूप अपना
देख मुझे ऐसे ये रास्तों की मुश्किल

गगन से भी ऊँचा है हौसला
फिर भी भारी पड़ती है रास्तों की मुश्किल

जकड़ लेती जो पैरों को,
तोड़ जाती मन को ये रास्तों की मुश्किल

ख़ुद से शिकायत करूँ या ठहरूँ
या चलूँ संग ऐसे जो ताड़े ये मुश्किल

हताश होकर अब
लड़खते लाघ रहा हूँ जीवन की हर मुश्किल

दूर होकर सबसे,
नहीं हूँ ख़ुद से दूर फिर भी राह आती ये मुश्किल

आज फिर से बरसात हुई
फिर भी कम न हुआ रास्तों की मुश्किल

#मनःश्री
#मनःस्पर्श
© Shandilya 'स्पर्श'