10 views
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
बैठे बैठे ही वो अलग दुनियां में पहुंच गया है
रात के अंधेरे से मानो वो डरता कम है
अपने ही ख्यालों के भवर में वो हर दिन डूबा सा है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
तकलीफ़ में मोनो जैसे वो जी राहा सा होता है
बातें कम करते हुए न जाने वो फिर से कहा खो सा जाता है
दर्द छुपाने के हुनर ने ही तो मुझे आज सब के सामने नवाजा है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
मानो आख़री मुकाम तक आया है
लेकिन यहां से उसे तो ख़ाली हाथ ही लौटना है
निराशा से दूर होते ही उसे जो एक नई किरण खोजनी है
हाथों की लकीरें मेरे अब भी खिलाफ़ है
संघर्ष से मुझे आख़िरी बार यह लढ़ाई लढ़नी ही है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूबा है
मानों उसने हम सबको इस सोच पर चलने से कहीं बार रोका है
बैठे बैठे ही वो अलग दुनियां में पहुंच गया है
रात के अंधेरे से मानो वो डरता कम है
अपने ही ख्यालों के भवर में वो हर दिन डूबा सा है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
तकलीफ़ में मोनो जैसे वो जी राहा सा होता है
बातें कम करते हुए न जाने वो फिर से कहा खो सा जाता है
दर्द छुपाने के हुनर ने ही तो मुझे आज सब के सामने नवाजा है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूब गया है
मानो आख़री मुकाम तक आया है
लेकिन यहां से उसे तो ख़ाली हाथ ही लौटना है
निराशा से दूर होते ही उसे जो एक नई किरण खोजनी है
हाथों की लकीरें मेरे अब भी खिलाफ़ है
संघर्ष से मुझे आख़िरी बार यह लढ़ाई लढ़नी ही है
वो अपनी सोच में कुछ ऐसे डूबा है
मानों उसने हम सबको इस सोच पर चलने से कहीं बार रोका है
Related Stories
28 Likes
7
Comments
28 Likes
7
Comments