मां शारदे
हंसवाहिनी माता कर दे ,
इस जग का कल्याण॥
हर अक्षर में वास तुम्हारा ,
तुमसे ही जग में उजियारा।
जैसा भाव बसे जिस मन में ,
जिह्वा ने बस वही पुकारा॥
मानव दानव और देवता,
पाते तुझसे ज्ञान।
हंसवाहिनी माता कर दे,
इस जग का कल्याण॥
तुम विद्या की देवी माता,
तुझसे ही जग में जगराता।
रमा उमा हे मातु शारदे ,
ध्याते हरिहर और विधाता॥
सकल चराचर करता निशदिन,
माता तेरा ध्यान।
हंसवाहिनी माता कर दे,
इस जग का कल्याण॥