बूँद और स्त्री
" बूँद और स्त्री "
समंदर से भाप बन उठी एक बूंद
बादल बनने में सहायक बनी
फिर भेजी गई धरती पर कि
पेड़-पौधों को जीवन मिल सके
धरती की प्यास बुझ सके
और धरती पर जीवन चक्र
चलता रहे
अनवरत
कहीं एक स्त्री जन्मी...
समंदर से भाप बन उठी एक बूंद
बादल बनने में सहायक बनी
फिर भेजी गई धरती पर कि
पेड़-पौधों को जीवन मिल सके
धरती की प्यास बुझ सके
और धरती पर जीवन चक्र
चलता रहे
अनवरत
कहीं एक स्त्री जन्मी...