...

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"पिता – छांव एक घर की "
पिता – छांव एक घर की!!

पिता वृक्ष से होते हैं
हम छांव में उनकी रहते हैं,
खुद धूप में जल कर भी
ठंडी छांव वो घर को देते हैं ।।

उम्मीद वही हैं, आस वही हैं
जीवन के पथ का विश्वास वहीं हैं ,
बूंद बूंद पसीना बहाकर
हर मुश्किल वो हंसकर सहते...