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"ख़ुद की खोज"
ख़ुद की खोज में निकल,मिलेगा हर समस्या का हल..!
एकाग्रता से संयम मन पे,बुद्धि को मिलेगा बल..!
पथ भटकाते गैरों की भीड़ में,अपनों से तनिक संभल..!
मुड़ कर न देख क्या छूटा पीछे,तू धैर्य से चलता चल..!
हरित होंगे सपने एक दिन,न डर कि सदैव रहेगा जीवन मरुस्थल..!
गिरने न देना तू अपना,किसी भी हाल में मनोबल..!
दुर्बलों पे मँडराते रहते हैं,ग़म के काले बादल..!
पर वीरों के साहस के आगे,घुटने टेकते हैं बड़े बड़े भुजबल..!
छँटेगा अँधेरा होगा सवेरा,भविष्य नज़र आएगा उज्जवल..!
तरक्की का आसमाँ दिखेगा खूबसूरत जहाँ,जीवन होगा यूँ ही अव्वल..!
© SHIVA KANT
एकाग्रता से संयम मन पे,बुद्धि को मिलेगा बल..!
पथ भटकाते गैरों की भीड़ में,अपनों से तनिक संभल..!
मुड़ कर न देख क्या छूटा पीछे,तू धैर्य से चलता चल..!
हरित होंगे सपने एक दिन,न डर कि सदैव रहेगा जीवन मरुस्थल..!
गिरने न देना तू अपना,किसी भी हाल में मनोबल..!
दुर्बलों पे मँडराते रहते हैं,ग़म के काले बादल..!
पर वीरों के साहस के आगे,घुटने टेकते हैं बड़े बड़े भुजबल..!
छँटेगा अँधेरा होगा सवेरा,भविष्य नज़र आएगा उज्जवल..!
तरक्की का आसमाँ दिखेगा खूबसूरत जहाँ,जीवन होगा यूँ ही अव्वल..!
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