...

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मैं बचाकर रखूंगी तुम्हारी संदल देह की खुशबू
तुम्हें क्या लगता है
कि तुम्हारे जाने पर मैं उदासी चुनूँगी...
काव्य में विरह पिरोकर
मन के दुख को व्यक्त करूँगी..?
ये माना कि मेरे कमरे के फ़र्श पर
दरारों से उदासी रिसकर कमरे को
सीलन से भर देती है..,
खिड़कियों पर खिले चटख नारंगी और सफेद फूल
उदास और हताश होकर चुपचाप पड़े हैं,
ये बरामदे के झूलते हुए झीने परदे
तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रहे हैं
या मेरी म्यूजिक प्ले लिस्ट
उदास गानों...