ज़िक्र
बहुत नाज़ुक होती है,
डोर रिश्तों की,
न खींचिए इसे,
थोड़ा सबर कीजिए,
मुश्किल से मिलता है,
कोई चाहने वाला,
चाहत की उसकी,
कुछ क़दर कीजिए,
जो चुन रहा है,
आपकी राह के कांटे,
चुपचाप बिन बताए,
उस शख्स की,
थोड़ी फ़िक्र कीजिए,
गर मोहब्बत है,
आपके भी दिल में,
कभी तो उससे,
ज़िक्र कीजिए ।
- राजेश वर्मा
© All Rights Reserved
डोर रिश्तों की,
न खींचिए इसे,
थोड़ा सबर कीजिए,
मुश्किल से मिलता है,
कोई चाहने वाला,
चाहत की उसकी,
कुछ क़दर कीजिए,
जो चुन रहा है,
आपकी राह के कांटे,
चुपचाप बिन बताए,
उस शख्स की,
थोड़ी फ़िक्र कीजिए,
गर मोहब्बत है,
आपके भी दिल में,
कभी तो उससे,
ज़िक्र कीजिए ।
- राजेश वर्मा
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