...

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तब तक मैं.....
तब तक मैं खुद को सोने न दूंगा
जब तक न बदलूं हकीकत़ में सपनों को
जब तक न बदलूं खुशियों में गमों को
इन आंखों को फ़िर से अब रोने न दूंगा
तब तक मैं खुदको सोने न दूंगा

जब तक न पा लूं जो सोचा है मैने
तब तक देता हूं इन लोगो को कहने
यूं चुप करने से वो चुप न रहेंगे
काम है उनका कहना लोग कुछ तो कहेंगे
मगर मैं उनकी...