...

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कभी कभी
कभी कभी नादानियाँ कर लेता हूँ
मन करता हे तो कभी में भी हंस लेता हूँ ..

इस ख्वाईशो जरूरतों से भरी जीन्दगी में थोड़ा खुशी के पल देख लेता हूँ ..
में भी अपनी मर्यादाओ के बहार कभी अपने पंख फैलाकर जी लेता हूँ ..

कभी कभी नादानियाँ कर लेता हूँ ..

रवि