दास्ता
आओ बैठो पास मेरे, दर्द की एक दास्ता सुनती हूं
एक फर्द की तस्वीर को ,में अपने फोन में छुपाती हूं
ख्वाबों में भी आजकल ,उसे अपने संग पाती हूं
छुपी हुई उस तस्वीर को, मैं अक्सर निहार आता हूं
बेख्याली में कई दफा, उसे...
एक फर्द की तस्वीर को ,में अपने फोन में छुपाती हूं
ख्वाबों में भी आजकल ,उसे अपने संग पाती हूं
छुपी हुई उस तस्वीर को, मैं अक्सर निहार आता हूं
बेख्याली में कई दफा, उसे...