...

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उम्मीद से भरे सफर......
ढूंढ़ते ढूंढ़ते ख़ुद को बहुत दूर आ गए......
अपनों अपने की ख्वाहिश मे बहुत से सुकून को अनजान मे ठोकर लगा गए......... आज कल मे बदल गया पर हम कहा है और कहा हों गए....... कुछ की जहन से लड़ते और ख़ुद से बहुत दूर हों गए..... क्या चाहे और क्या खोए इस बात का पता नहीं बस कुछ की ख्वाहिश और थोड़े रह गए...... रोज की सीख ने बहुत दूरिया ख़ुद मे बदल कर ला गए......