मखमली बदन.....
मखमली तेरे बदन की सिलवटें,
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!
मद भरी इन रातों में तू ही मयखाना मेरा,
तू ही मेरा साकी है!!
निगाहों से तेरी वो छलकता शराब,
मदमस्त जवानी तेरी, तेरा हुस्न लाजवाब!
बरबस ही खींचता है मुझ को तेरी तरफ,
कस्तूरी की तरह तेरा महकता शबाब!!
होठों की कलम...
मेरे जिस्म पर अभी बाकी हैं!
मद भरी इन रातों में तू ही मयखाना मेरा,
तू ही मेरा साकी है!!
निगाहों से तेरी वो छलकता शराब,
मदमस्त जवानी तेरी, तेरा हुस्न लाजवाब!
बरबस ही खींचता है मुझ को तेरी तरफ,
कस्तूरी की तरह तेरा महकता शबाब!!
होठों की कलम...