Alfazon Ka Shor - SJT
मैं लिखता हूं तो यूं ही लिखता रहूंगा ।
मैं उदास हूं तो उदास दिखता रहूंगा ।।
ज़माने की बदल ने बहुत बदलना चाहा ।
मैं अनमोल चीज़ हूं यूं ही बिकता रहूंगा ।।
अ़फसाने आए थे ज़िन्दगी में कहर बनके ।
सूखे पेड़ का पत्ता हूं टूट के गिरता रहूंगा ।।
मुसाफ़िर हूं तेरे इस अजनबी शहर का मैं ।
तेरी गलियों के आस पास फिरता रहूंगा ।।
मुफलिसी का दायरा इतना बड़ा भी नहीं ।
रोज़ इंसानों की...
मैं उदास हूं तो उदास दिखता रहूंगा ।।
ज़माने की बदल ने बहुत बदलना चाहा ।
मैं अनमोल चीज़ हूं यूं ही बिकता रहूंगा ।।
अ़फसाने आए थे ज़िन्दगी में कहर बनके ।
सूखे पेड़ का पत्ता हूं टूट के गिरता रहूंगा ।।
मुसाफ़िर हूं तेरे इस अजनबी शहर का मैं ।
तेरी गलियों के आस पास फिरता रहूंगा ।।
मुफलिसी का दायरा इतना बड़ा भी नहीं ।
रोज़ इंसानों की...