...

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जीवन

जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,

जिन्होंने दर्द और अपमान के सिवा
कुछ ना दिया,उससे चुप चप किनारा किया,

कोई शिकवा शिकायत कभी ना किया,
अपने बुरे वक्त में अपने परायों को पहचान लिया,

गिरते को उठाने वाला कोई नहीं,
जब खुद गिरने लगी तो धक्का देने वालों को
जान लिया,

जीवन इसी का नाम हैं चलते रहना अपना
काम हैं,संघर्ष ही जीवन हैं,जीवन इसी का नाम हैं,