...

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क्या करता ?
आखिर मर कर भी मैं कब तक मरता,
मैं ग़फ़लत में था भला क्या करता।

उसको बिछड़ना था मुझसे मैंने जाने दिया,
जाने वाले से भला मैं सवाल क्या करता।

हंसते चेहरे में छिपी मायूसी क्या बताता,
वो खुश था उसे मैं नाराज़ क्या करता।

उसे जो मंजूर था उसने किया मेरे साथ,
उसके शौक पर भला मैं ऐतराज क्या करता।
© Shivam Dubey