...

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Madhur Intezaar...!
#इंतज़ार

आज तेरी आने कि खब़र पता चली
आज तेरे कोमल अस्सित्व को अपने भीतर पहली बार महसूस किया
मालूम हैं मुझे
यहां अभी सिर्फ अंश का एक टुकडा है
वो टुकडा जो मेरे भीतर
धीरे धीरे विकसित होगा...

तुं कितनी बलवान होगी न
तेरे अंश मात्र से
मुझे आपनी अज्ञात अंदरूनी शक्ति का आभास हो रहा है
पता नहीं कितनी हुरो का नूर होगा तुझमे
तेरे अंश मात्र से
तेरे नूर की कुछ झलक
मेरी काया में छलक रही हैं ...

आज तेरी भूख को महसूस की
अपनी तो मैं अक्सर भूल जाती हुं
आज तेरी अवाज को महसूस की
मानो तु बोल रहा हो
मां !
भुख लगी है
ओर मानो मैं तुझे लाड से अपने हाथो से खिला रही हो
बस इंतजार है तेरे आना का
आज तेरी दिल धडकनो को धडकते हुए देखी
बस उस दिन का इंतजार कर रही
जब तेरी ये धडकन
तुझे अपने सिने से लागाकर सुन सकुं...

तेरे कदम कि आहट तो महसूस होती है
पर तुं नज़र नहीं आती
तेरे कोमल माथा तो महसूस होते हैं
पर उस कोमल माथे को अपनी गोद में
मेरे निर्मम हाथो से सराहना का इंतजार कर रही हुं
जैसे तुं मेरे गर्भ में सुरक्षित महसूस कर रही होगी
वादा है तुझसे जब तुं इस दुनिया के गर्भ में आएगा कोशिश करुंगी
वैसे ही सुरक्षा मैं तुझे दे सकुं ...

सांझ से सवेरे तक तेरे इंतजार करती हुं मैं
रातो कि लोरियां तो खुब तैयार कि हुं मैं
बस तुं आजा सुनने के लिए
पता नहीं तुं कब इस दुनिया की हो जाऐ
अजीब उलजन है जब तक तुं मेरे गर्भ मे हैं मेरी है
पर जब तुं इस दुनिया में आएगा
तुं सिर्फ मेरी ही नही रहेगा
तेरे पे हक़ जताने के लिए बहुत भीड होगी...

तेरे खिलोने के लिए बाज़ारो में भटकती मैं
तेरी पसंद जो पता नहीं है मुझे
तेरा लिए कपड़े भी कैसे बनाऊ
तेरा नाप जो पता नहीं है मुझे
तेरा नाम भी कैसे सोचुं
तेरे लिंग जो पता नहीं है मुझे
उस दिन का इंतजार कर रही हुं मैं
जिस दिन तेरे कोमल काया की
बलाएं ले सकुं ...

बस तेरे आने का इंतजार कर रही हुं मैं ...
बस तेरे कोमल स्पर्श का इंतजार कर रही हुं मैं...


© HeerWrites