...

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एक बार बता के तो देखा होता l
उस दर्पण पर छपा चेहरा
उतरने लगा था |
ध्यान नही दिया किसी ने
उसके दर्द का अंदाजा किसी को ना था l
कितना रंज था उसमे
ये तो सिर्फ़ वो ही जान सकता था l
कहना चाहा जब उसने ,
तो सुना सबने पर, समझने वाला कोई नही था
बहार से चुप और अंदर शोर था l
अब अंदर से चुप है और बहार बहुत शोख़ है
लोग पूछने लगे तब, जब जा चुका था वो
क्या दर्द था एक बार बता के तो देखा होता l
(समाप्त )
Pooja chauhan
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