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प्यार को बस दीदार ए कसर है
वो खुशबू तुम्हारी वो काजल तुम्हारा..
वो ढल्का हुआ सा वो आंचल तुम्हारा।
अजब सी कशिश है अजब सा नशा है..
मर मर के जीने का कैसा मजा है।।
कहीं बह गए हैं वो अल्फा सारे..2
कहें कब तलक ये सहें कब तलक है।
लगाएं कहां तक गमों को गले से ।।
तुम्हारी ही हसरत तुम्हारी ही चाहत..
तुम्हारे ही नूर से हमको है राहत ।
असर है तुम्हारा तुम्हारा असर है..
प्यार को बस दीदार ए कसर है।।..2
© aham bramhasmi
वो ढल्का हुआ सा वो आंचल तुम्हारा।
अजब सी कशिश है अजब सा नशा है..
मर मर के जीने का कैसा मजा है।।
कहीं बह गए हैं वो अल्फा सारे..2
कहें कब तलक ये सहें कब तलक है।
लगाएं कहां तक गमों को गले से ।।
तुम्हारी ही हसरत तुम्हारी ही चाहत..
तुम्हारे ही नूर से हमको है राहत ।
असर है तुम्हारा तुम्हारा असर है..
प्यार को बस दीदार ए कसर है।।..2
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