तुम्हें बदलते देखा हैं
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
आँखों से नहीं, मगर महसूस कर के,
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो प्यार से हाथ थामा था मेरा,
उसे छोड़ते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिन होठों के स्पर्श से खुश होते थे,
आज उन्हीं होठों से सुनी हैं मैंने नफ़रत।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो घाव भरने की प्रयास तुमने करी,
उन्हीं घाव को कुरेदते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिस चेहरे को देख मुस्कान आती थी,
उसी चेहरे को देख ख़ामोशी छाते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिन बातों से चैन मिलती थीं,
उन्हीं बातों से अब दर्द मिलता हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिस दिल के लगाव से इतना मोह था,
उसी लगाव से ऊबन दीखता हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो हाथ आंसू पोछने के लिए आतुर थे,
वह हाथ अब, अलविदा कहने के लिए भी नहीं उठे हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
दर्द भरे इन नैनों को झाँकके देखा जिसने,
आज आँखें मूँद खड़ा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिसके सीने के स्पर्श से तूफ़ान शांत होता था,
आज उसके सीने व ह्रदय में जगह नहीं हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
स्नेह के गर्माहट से लेकर,
नज़रअंदाज़ी के शीत को देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं…..
© Soujannyawrites
आँखों से नहीं, मगर महसूस कर के,
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो प्यार से हाथ थामा था मेरा,
उसे छोड़ते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिन होठों के स्पर्श से खुश होते थे,
आज उन्हीं होठों से सुनी हैं मैंने नफ़रत।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो घाव भरने की प्रयास तुमने करी,
उन्हीं घाव को कुरेदते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिस चेहरे को देख मुस्कान आती थी,
उसी चेहरे को देख ख़ामोशी छाते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिन बातों से चैन मिलती थीं,
उन्हीं बातों से अब दर्द मिलता हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिस दिल के लगाव से इतना मोह था,
उसी लगाव से ऊबन दीखता हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जो हाथ आंसू पोछने के लिए आतुर थे,
वह हाथ अब, अलविदा कहने के लिए भी नहीं उठे हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
दर्द भरे इन नैनों को झाँकके देखा जिसने,
आज आँखें मूँद खड़ा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
जिसके सीने के स्पर्श से तूफ़ान शांत होता था,
आज उसके सीने व ह्रदय में जगह नहीं हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
स्नेह के गर्माहट से लेकर,
नज़रअंदाज़ी के शीत को देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं।
हाँ, तुम्हें बदलते देखा हैं…..
© Soujannyawrites