...

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मैं पतंग
पतला-सा, वेश-स्वरूप मेरा
उसमें दो कांप मेरी ढाल बनी,
इस रूप को लेकर
लो मैं पतंग बन गयी।
कभी सरल, तो कभी रंगीन हूँ मैं,
कभी अकेले, तो कभी अनेक संग हूँ मैं…
सरल, आधुनिक, कई रूप मेरे
चांद- तारा, सितारा जैसे,
है बहुत से उपनाम मेरे।
बांधकर मुझमें तंग
जोड़ मुझे एक डोर से,
ले मज़े एक छोर से
हवा के दिशा का रुख-मोड़ देख,
उछलकर छोड़े मुझे आसमान में ।
लहराते, बलखाते, हिलते–डुलते, गुलाटी और...