...

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मत हार तू हिम्मत।।।
कुछ तुम्हारे कुछ हमारे
नयनों से गिरते अश्रु के धारे
वेदना के स्वर दबे हैं
चीख भीतर से पुकारे

काल के कपाल पर
जो लिख रहा है कहानी
हो रहा वो सब जो रब ने
हमारे तुम्हारे लिए है ठानी
जीत उसकी है होती
जो नहीं है मन से हारे
वेदना के स्वर दबे हैं
चीख भीतर से पुकारे

चलता चल कर्तव्य पथ तू
राह दुर्गम ही सही हो
भेदता चल बाधाओं को
जो सुगम नहीं लग रही हो
अस्तित्व की बलिवेदी पर
भविष्य की परिकल्पना कर
भाग्य के ना रह सहारे
वेदना के स्वर दबे हैं
चीख भीतर से पुकारे
© Abhi