कभी सोचा ही नहीं की जीने के लिए दर्द भी उठाने होंगे
0छोटे थे तो सोचा ही नहीं जीने के लिए दर्द भी उठाने होंगे बड़े हुए तो पता ही नहीं चला कब हम बड़े हो गए
तब छोटे-छोटे हाथ खोलने ही तो सैतनिया ही होती तब तक हम सबको ही अच्छे लगते थे बड़े हुए तो लोगों को खुश करते-करते हम ही बुरे हो गए
छोटे थे...
तब छोटे-छोटे हाथ खोलने ही तो सैतनिया ही होती तब तक हम सबको ही अच्छे लगते थे बड़े हुए तो लोगों को खुश करते-करते हम ही बुरे हो गए
छोटे थे...