परदेशी पिया
पिया बिन कैसे रे कैसे,
बीते ये रतिया।
दूर परदेश पिया है,
कैसे आये निंदियां।
पिया बिन........
रात अँधेरी, चली पुरवाई।
दूर कहीं कोई, गाए विरहाई।
मिलने को तरसे रे तरसे,
प्यासी ये अँखियाँ।
पिया बिन..........
आया फागुन, उड़ रहें रंग।
दूर पिया है, तड़पे है अंग।
आके रंग दे रे रंग दे,
तरसू मैं सईयां । ...
बीते ये रतिया।
दूर परदेश पिया है,
कैसे आये निंदियां।
पिया बिन........
रात अँधेरी, चली पुरवाई।
दूर कहीं कोई, गाए विरहाई।
मिलने को तरसे रे तरसे,
प्यासी ये अँखियाँ।
पिया बिन..........
आया फागुन, उड़ रहें रंग।
दूर पिया है, तड़पे है अंग।
आके रंग दे रे रंग दे,
तरसू मैं सईयां । ...