...

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परदेशी पिया
पिया बिन कैसे रे कैसे,
बीते ये रतिया।
दूर परदेश पिया है,
कैसे आये निंदियां।
पिया बिन........

रात अँधेरी, चली पुरवाई।
दूर कहीं कोई, गाए विरहाई।
मिलने को तरसे रे तरसे,
प्यासी ये अँखियाँ।
पिया बिन..........

आया फागुन, उड़ रहें रंग।
दूर पिया है, तड़पे है अंग।
आके रंग दे रे रंग दे,
तरसू मैं सईयां ।
पिया बिन........

आँखों में आँसू मेरे, पलकें है भारी।
न कोई तन की सुध है, गम की मैं मारी।
आके दे जा रे दे जा,
अपनी खबरियां।
पिया बिन.......

हर पल राहें देखूँ, तुझ बिन खाली।
घर सूना सूना मैं, बिन फूल डाली।
सीच दे आके रे आके,
सूख रहीं बगियां।
पिया बिन..........

मैं बिरहा की मारी, तू परदेशी।
आन मिलो अब, आस मेरी टूटी।
पार लगा रे लगा रे,
डूब रहीं नैइया।
पिया बिन कैसे रे कैसे, बीते ये रतिया।
दूर परदेश पिया है, कैसे आये निंदियां।
🙏🙏🙏
-अदंभ
© अदंभ