किताबों का बोझ
जब हम बच्चे थे, किताबों का बस्ता,
हमको बोझ लगता था,
इनसे छूट जाए पीछा कभी तो,
ऐसा हर रोज लगता था,
अब समझ आता है, उन किताबों में ,
जिंदगी समाई हुई थी,
छिपी थी उसमें ज्ञान की वो दौलत,
जो वर्षों की कमाई हुई थी,
अब...
हमको बोझ लगता था,
इनसे छूट जाए पीछा कभी तो,
ऐसा हर रोज लगता था,
अब समझ आता है, उन किताबों में ,
जिंदगी समाई हुई थी,
छिपी थी उसमें ज्ञान की वो दौलत,
जो वर्षों की कमाई हुई थी,
अब...