माँ
माँ आज भी बिना देखें, मेरे मन की आखों को पढ़ लेती है!
हसीं में छुपे मेरे दर्द के समंदर को जान लेती है!!
माँ आज भी बिना मिले, सब कुछ जान लेती है!
दिल में चल रही, हर गुफ्तगू को पहचान लेती है!!
माँ आज भी मेरी ख़ामोशी को जान लेती है!
परछाई में छुपे...
हसीं में छुपे मेरे दर्द के समंदर को जान लेती है!!
माँ आज भी बिना मिले, सब कुछ जान लेती है!
दिल में चल रही, हर गुफ्तगू को पहचान लेती है!!
माँ आज भी मेरी ख़ामोशी को जान लेती है!
परछाई में छुपे...