ठहर जा
जीवन की इस भाग दौड़ में
अब तू ज़रा ठहर जा
बरसो भटका तू देश विदेश
जा अब अपने शहर जा
कमाए तूने लाखों कड़ोड़
अब ज़रा मन का चैन कमा
जीवन की इस भाग दौड़ में
अब तू ज़रा ठहर जा
क्यू है अकेला...
अब तू ज़रा ठहर जा
बरसो भटका तू देश विदेश
जा अब अपने शहर जा
कमाए तूने लाखों कड़ोड़
अब ज़रा मन का चैन कमा
जीवन की इस भाग दौड़ में
अब तू ज़रा ठहर जा
क्यू है अकेला...