...

3 views

Sk Haryan के हरियाणवी लोकगीत/भजन 🕉️
गीत 1
✨✨
हे दर्जी के न जुल्म कैरया मेरा दामण सीम दिया भारैया
चौसठ तो हें उसमें कली गेर दीं सवा शेर का नाड़ा।
✨✨
हें पहली कली में राम और लक्ष्मण बीच में सीता प्यारी
हें दुजी कली में चौपड़ बिछ रही खेलै ननद का भाई।
✨✨
हें सास ननद की मैं घणी लाडली सांझै हीं सोवण खंदाई
हें दम दम करतीं महलों चढ़ गई सोवै ननद का भाई।
✨✨
हें हाथ पकड़ मेरा पौंचा पकड़ा झट छाती के लाई
हें बालम तो मैं कहना भूल गई मुख से निकल गया भाई
✨✨
हें दिन निकला जब हुआ सवेरा भाभी मांगें मिठाई
हें री तमने तो री भाभी भावै मिठाई ब्याही ने भावै भाई।
✨✨
हें उरे बिमला उरे आ कमला हें उरे आ sk प्यारी
हें अपने पति नै पति कहा करै कोण कहें है भाई।
✨✨
हें नौ भाईयों की बाहण लाडली मैं बालकपन में ब्याही
हें बालम तो मैं कहना भूल गई मुख से निकल गया भाई
✨✨
हें भला करया री भाभी भला करया तनें ब्याही लैन प लाई।
हें री तैन तो री भाभी ल्या दूं मिठाई ब्याही नै बालुशाही।
✨✨
मन की आवाज ॐ
एस के हरियाणा ✨

© Sudesh Chauhan (SK)