...

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सवालों से घिरी जिंदगी।
सवालों सी घिरी जिन्दगी,
भला जवाब यहां कौन दे पाता है,

घूमते फिरते जवाब कभी मिल भी जाता,
तो भला सही सवाल कौन कर पाता है,

झूठे के सहारे, झूठ भरी जिंदगी,
सच तुम भी जानते, सच में भी जानता,
कड़वा हैं यें, मगर स्वीकार कौन कर पाता है,

बातें करते हम इंसानियत की,
बातें करते हम मोहब्बत की,
दिखावे के हम बड़े दिलदार है,
सच बताना गरीबों से मोहब्बत कौन कर पाता है,

सवालों से घिरी जिन्दगी,
भला जवाब यहां कौन दे पाता है,

बचपन में पढ़ाया और सिखाया था,
दोस्ती और परिवार के मायने,
सच बताना जब जब जेब खाली हुई,
तब इनमे से साथ कौन दे पाता है,

काश बचपन में हमें असली जिंदगी में बारे में बताया होता,
मजबूरी में दूसरो को अपना सहारा न बनाया होता,
लड़ना खुद अकेला पड़ता है यहां ज़िंदगी में,
झूठे जवाबों से घिरे सवालों का जाल ना बनाया होता,

तो शायद ज़िंदगी थोड़ी खूबसूरत सी होती,
झूठे जवाबों से दूर किसी और के सहारे जीने की मजबूरी ना होती,
ढूंढ लेते हर सवाल का सही जवाब खुद से,
मुखौटा ओढ़े झूठ भरी मुस्कान का,
अकेले में रोने की जरूरत ना होती।

सवालों से घिरी जिन्दगी, भला जवाब यहां कौन दे पाता है।

आनंद ठाकुर।
© theuntouchedvoice