पूर्ण नारी
हाथ पकड़कर चलने का नाम है जिंदगी, साथ रहकर जीने का नाम है जिंदगी, यही सीखा था यही सुना था, मां कहती थी एक रिश्ते में शिव है नर तो शक्ति है नारी, समाज है नर तो उसका सम्मान है नारी उसका गौरव है नारी, दोनों में एकता समानता यही है सात फेरों की नीव फिर क्यों भूल जाता है वो यह बात, खोखली समाज के नियम- प्यार की कश्ती पे भारी हो जाते है, अपनी बात मनवाने के लिए अपनी शक्ति दिखाता है उस नारी पर जिसे वह खुद आदि शक्ति के रूप में घर लाया था।
रिश्ते की नीव डगमगाने लगती है सारा भार समाज के डर से नारी पर आ जाता है, लोग क्या कहेंगे या बच्चे बिना पापा कैसे रहेंगे फिर एक झूठी नियम की गंदी सोच की दुनिया में एक मासूम पिस जाती है, बलि दी जाती है। और कमाल की बात यह है कि उसके क्यों के बदले "हमने भी सहा था, ऐसा ही होता है,घर की बात बाहर ना जाए नहीं तो बदनामी होगी",घरवाले भी यही बोलकर चुप करवा देते हैं.....
अ मर्द तू अपनी ताकत पर इतना गुरूर ना कर अगर सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण बचा सकती है तो वही सही वक्त आने पर उसे अनुशासन का पाठ भी पढ़ा सकती है।#poemfeast
© poemfeast
रिश्ते की नीव डगमगाने लगती है सारा भार समाज के डर से नारी पर आ जाता है, लोग क्या कहेंगे या बच्चे बिना पापा कैसे रहेंगे फिर एक झूठी नियम की गंदी सोच की दुनिया में एक मासूम पिस जाती है, बलि दी जाती है। और कमाल की बात यह है कि उसके क्यों के बदले "हमने भी सहा था, ऐसा ही होता है,घर की बात बाहर ना जाए नहीं तो बदनामी होगी",घरवाले भी यही बोलकर चुप करवा देते हैं.....
अ मर्द तू अपनी ताकत पर इतना गुरूर ना कर अगर सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण बचा सकती है तो वही सही वक्त आने पर उसे अनुशासन का पाठ भी पढ़ा सकती है।#poemfeast
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