...

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तेरे शहर में
तेरे जाने के बाद मैंने सोची थी,
न आऊँगी तुम्हारे शहर में मैं कभी,
जिन गलियों से साथ हम गुजरा करते थे,
उन गलियों से न‌ मैं गुजरूंगी कभी।
मगर किस्मत लें आई फिर वही,
एक पल के लिए लगा कि अब भी तू है यही कहीं।
हमारी सारी पुरानी यादें ताज़ा हो गई,
मानो कि सारे मंदिर, कस्बे कह रहे हो,
फिर मुलाकात हो हमारी तुम्हारी।
दबा रखी थी जो मोहब्बत मैंने अपने सीने में,
तेरे शहर आते ही फिर धड़कने लगीं।
मिट गई मानो हर कमी,
महसूस होने लगी मुझमें तेरी मौजूदगी।