तेरे शहर में
तेरे जाने के बाद मैंने सोची थी,
न आऊँगी तुम्हारे शहर में मैं कभी,
जिन गलियों से साथ हम गुजरा करते थे,
उन गलियों से न मैं गुजरूंगी कभी।
मगर किस्मत लें आई फिर वही,
एक पल के लिए...
न आऊँगी तुम्हारे शहर में मैं कभी,
जिन गलियों से साथ हम गुजरा करते थे,
उन गलियों से न मैं गुजरूंगी कभी।
मगर किस्मत लें आई फिर वही,
एक पल के लिए...