शीर्षक- कहने को सब अपने हैं।
शीर्षक- कहने को सब अपने है।
कहने को तो सब अपने है।
पर ये सब सुनहरे सपने है।
पास रहे और वार करें।
दूर रहो तो ताने कसने है।
आगे बढ़ो तो रोकते है,
पल- पल हमको टोकते है,
तकलीफ में साथ देते नहीं,
खुशियों में मिठाई की राह देखते है।
नए- नए रंग दिखाते है,
गिरगिट भी इनसे शरमाते है,
खुद को सच्चा हितैषी बताते है,
पर सफलताओं से जल जाते है।
मन में वैर ये रखते है,
और खुदको मित्र बताते है,
अपनापन का अर्थ समझते नहीं,
और अपना हमें बताते हैं।
ऐसे अपने भी होते है,
जो अपने नहीं होते हैं,
काटें विखेर कर हमारी राहों में,
ये मन ही मन खुश होते है।
रिया दुबे
©
कहने को तो सब अपने है।
पर ये सब सुनहरे सपने है।
पास रहे और वार करें।
दूर रहो तो ताने कसने है।
आगे बढ़ो तो रोकते है,
पल- पल हमको टोकते है,
तकलीफ में साथ देते नहीं,
खुशियों में मिठाई की राह देखते है।
नए- नए रंग दिखाते है,
गिरगिट भी इनसे शरमाते है,
खुद को सच्चा हितैषी बताते है,
पर सफलताओं से जल जाते है।
मन में वैर ये रखते है,
और खुदको मित्र बताते है,
अपनापन का अर्थ समझते नहीं,
और अपना हमें बताते हैं।
ऐसे अपने भी होते है,
जो अपने नहीं होते हैं,
काटें विखेर कर हमारी राहों में,
ये मन ही मन खुश होते है।
रिया दुबे
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