...

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बवा
ये धुंधली फिजाओ की फज़ा ले जा।।
झुर अश्कों में शामिल हैं,तस्सवुर
ये तेरी हवा ले जा।।

रुखसत मिले तो रूखसार हो आलम जरा सा,
मिल्कतों में फक्त मुफलिसी के चराग जलते हैं,
मेरे दयार से तेरा गुमां ले जा।।

एक तंज में दिन बड़ा होता जाता है,और रात छोटी,
वो सर्द रुत दस्तक दे रही हैं,
ये पतजड का समां ले जा।।

गर बहुत हैं,गांव,शहर के शफाखानो में,
अब और न कोई रुसवा होने पाए"शायर"
ये तेरे ख्यालों की बवा लेजा।।

© shxayar