...

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एहसास कोई छूटा है
#खालीसीट

उठ गया जब कोई छोड़कर कुर्सियां,
हमको जैसे लपेटे थी कुछ सर्दियां।

हम ठिठुर कर किनारे को लगने ही थे,
मिल गई फिर गर्म सी कुर्सियां।

एक एहसास जैसे छूवन का तेरे,
कोई गर्माहट मेरे लिए त्याग कर।

क्यों चला जाता है इस तरह हर कोई,
देह हो छोड़कर, अपनों से भागकर।

लौट आओ तो वापस अभी वक्त है,
तेरा इंतजार है तुझे है गर्मियां।

तू बता सर्द रातों में जाता किधर,
छोड़कर अपनी मस्त गर्म से कुर्सियां।।



© Dr.parwarish