...

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हम बैठें हैं लुटने के लिये।
इच्छा जाहिर करके तो देखो
नज़राना बैठा है बिकने के लिये।

क्यों सिर्फ निगाहें सेकते हो,
ये तारा बना ही है टूटने के लिये।

यूँ हाथों को मसलना छोड़ो मेरे दिलदार,
हम बैठे हैं यहाँ सिर्फ लुटने के लिये।

एक बोली का है बस इंतज़ार,
इन जांघों को खुलने के लिये,
जरा हिम्मत तो दिखाओ बरखुरदार,
हम...