...

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बोझ जिंदगी का
मौत की तमन्ना लिए हम जीये जा रहे है
ये कैसी दरख्तों में हम फंसे जा रहे हैं
दर्द की चादरों में हरपल सिमटे जा रहे है
तन्हाइयों की सिलवटों में दबे जा रहे है
आंसुओ के समंदर में हम बहे जा रहे है
अमावस की रात में भटकते जा रहे है
होता नही सहन अब बोझ सांसो का
फिर भी ये बोझ हम ढोये जा रहे है
ख्वाहिश दफन कर चुके हम अपनी सारी
जिंदगी के हाथों हम लुटे जा रहे है ...