...

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मेरा रक्त
अब तो आ जा पुत्र मेरे, हो गई हू मै वृद्ध ,
आ जा भर लू तुझे अपनी बाहों में, कर दू तुझे समृद्ध ।

सूख गये है सारे आसू मेरे, आंखे फाटक पर घेरे ।


अपनी माँ को देखने दे बस एक बार तेरा चेहरा, क्युंकि रह ना गया अब मेरा जीवन गहरा।

परदेस मे एसा क्या पाया की तू अपनी माता को भुलाया ।


नेत्र अब ना रह गए सक्षम, पर तुझे देखने के लिये रह्ते बेचैन षड़ - षड ।


पता नही कब तक दौडेगा मेरी नसो मे खून, आजा लाल मेरे, दे दे मुझे उम्रभर का सुकून ।


क्या मेरी आंचल की गर्माहट हो गई विलीन ?
क्यों हो गया इतना संवेदनहीन ?


मेरे जीवन का कुछ दिनो मे आ जाएगा किनारा, कुछ पलो के लिये बन जा अपनी जननी का सहारा ।

तुझे प्यार से खिलाने के लिये तडपती हू , आयेगा नही तू एसा प्रतीत होता है इसलिए अब मै चलती हू।।