...

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"तेरे लबों की तलब"
तेरे लबों की तलब,
तालाब खुशियों का भरती है..!

ज़िन्दगी जीती है कई दफ़ा,
एहसास ज़ाहिर करती है..!

अंदाज़-ए-इश्क़ ऐसा सनम,
ख़ुद ही सजती सँवरती है..!

हसीं वादियों में जैसे,
ख़ुशबू मोहब्बत की बिखरती है..!

चेहरे की लाली उगते सूरज सी,
कोमल कमल सी ज़िन्दगी निखरती है..!
© SHIVA KANT