जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल पड़े हैं देखो हम
सबको पीछे छोड़कर
कब से यूं बिखरे हुए थे
गम की चादर ओढ़कर
अब चले हैं...
रुख हवा का मोड़कर
चल पड़े हैं देखो हम
सबको पीछे छोड़कर
कब से यूं बिखरे हुए थे
गम की चादर ओढ़कर
अब चले हैं...