सिर्फ़ कह देना इश्क़ नही..
फक़त दो ज़िस्मों का मिलन इश्क़ नही ,
कभी रूह से ग़र रूह न मिले तो इश्क़ नही !
तूने मेरी सूरत को देखा, मुझे जाना नही ,
कभी इंतज़ार में अश़्क न बहा तो इश्क़ नही !
हर बात तुझे कह दूँ , प्यार से प्यार कर लूँ ,
कभी शिकायतें, नाराज़गी न हो तो...
कभी रूह से ग़र रूह न मिले तो इश्क़ नही !
तूने मेरी सूरत को देखा, मुझे जाना नही ,
कभी इंतज़ार में अश़्क न बहा तो इश्क़ नही !
हर बात तुझे कह दूँ , प्यार से प्यार कर लूँ ,
कभी शिकायतें, नाराज़गी न हो तो...