...

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आई खुशी स्कूलों में
अरसों बाद आज आई खुशी स्कूलों में,
चहक उठा सारा परीसर महक आई फूलों में।
लौट आई अब बच्चों के चेहरे की रौनक,
अरसों बाद फुसफुसाहट हुई सारे शिक्षकों में।

खुश हैं सारे लटके ताले वो सीकरी भी,
खुश हैं बेंच,कुर्सी स्कूल के वो रजिस्टर भी।
अंगड़ाई ले रहा कक्षा का वो ब्लैकबोर्ड,
खुश हैं देखो कक्षा के सारे चाक व डस्टर भी।

धूल मकड़ी से आज निजात मिल जाएगा,
बतिया रहें है कक्षा के दीवार और कोने भी।
चौखट,दरवाज़े ये खिड़कियां खुशी में झूम रहें,
खिलखिला उठा आज तो संतरी व चपरासी भी,

बागों की मिट्टी लिपट कर नन्हें पांवों को चूम रहें,
मस्ती में हिल डोल रहे शजर के वो बेले भी।
देखो स्वागत में हर फूल महक बिखेर रहें,
मंद मंद देखो मुस्का रहा बाग का वो माली भी।

हरदम बोझ का रोना जो रोता था,
देखो आज खुश है वो स्कूल का बस्ता भी।
जो ले जाता सभी को वक्त पर स्कूल,
देखो खुश है बस ड्राइवर और वो रास्ता भी।

अरसों बाद आज आई खुशी स्कूलों में,
चहक उठा सारा परीसर महक आई फूलों में।
लौट आई अब बच्चों के चेहरे की रौनक,
अरसों बाद फुसफुसाहट हुई सारे शिक्षकों में।

© तौसीफ़ अहमद
ब्रह्मपुर बक्सर बिहार