गरीब.....जो दिल का है...!
गरीब......
कौन है गरीब....
जो दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करता है
या जिसके पास कोई अपना ठिकाना नहीं है
या जिसके तन पर अच्छे लिबास नहीं है
ना.....गरीब तो वो है ही नहीं साहब....!
जिसकी हैसियत खुदके ख्वाबों को मारकर दूसरों को जिंदा रखते है......!
तो फिर कौन है गरीब जो
असल में को देने की बजाय
सिर्फ लेने की...
कौन है गरीब....
जो दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करता है
या जिसके पास कोई अपना ठिकाना नहीं है
या जिसके तन पर अच्छे लिबास नहीं है
ना.....गरीब तो वो है ही नहीं साहब....!
जिसकी हैसियत खुदके ख्वाबों को मारकर दूसरों को जिंदा रखते है......!
तो फिर कौन है गरीब जो
असल में को देने की बजाय
सिर्फ लेने की...