...

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अफ़सोस खलता रहा...
एक अधूरापन मेरे सीने में पलता रहा
यादों का तसव्वुर भी साथ चलता रहा।

पुरानी बातें याद करके तसल्ली तो मिली मग़र
जलते दिल का धुआँ भी आँखों से निकलता रहा।

पूरी ना हो सकी हसरत तमन्ना ए इश्क़
नाकामी का अफ़सोस भी रह रह कर खलता रहा।

धुंधली हो गयीं राहें मंज़र ना नज़र आया कोई
तन्हा यादों का दामन थामें मैं बढ़ता रहा सँभलता रहा।

© Gaurav J "वैरागी"

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