कविता
टहलते हुए किसी बगीचे में
चुभ जाये जब तुम्हें काँटा कभी
हवा के ठंडे झोंको,
फूलों की भीनी खुशबू का लुत्फ़
क्या तुम उठा...
चुभ जाये जब तुम्हें काँटा कभी
हवा के ठंडे झोंको,
फूलों की भीनी खुशबू का लुत्फ़
क्या तुम उठा...