...

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मन की चंचल सड़क
मंद मंद सी पवन का झोका
खामोशी का लिबास है ओढ़ा
गुफ्तगू मे मसरूफ था तिनका
आकर उसको किसने टोका
थौर ठिकाना की करके परवाह
बीज ढूंढे धरा की माटी
लायी बहुत पैगाम हसरते
पर ,तसव्वुर को अधीर लोचन
करवते बदल रहा क्षण
फंस गया महक का आंचल
भूत ,कल की कशमकश मे
खिच गयी है...