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फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है

फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करते ही लोग राफेल की गति से इनबॉक्स में एंट्री मारते लगने हैं।
किसी को हाय करनी होती है...
किसी को हैलो करनी होती है
किसी को दोस्ती करनी है.
तो किसी को शादी होती है
कोई साथ में चाय पीना चाहता है...
तो कोई कॉफी..
कोई साथ में लंच करना चाहता है तो कोई कैंडिल लाइट डिनर...
कोई किये जा रहा है लगातार मैसेंजर पर कॉल
कोई भेज रहा लव इमोजी
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है
कोई 15 साल का है...
कोई 50 साल का है...
तो कोई है 75 साल का..
सबको जानना है क्या करती हो,
कहाँ रहती हो,
कहाँ जॉब करती हो
अकेले रहती हो...?
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है
सब मोहित हैं चेहरे पर....
(चाहे चेहरा खूबसूरत हो या न हो)
सबको अच्छी लग रही है मासूमियत
सब डूब जाना चाहते हैं आंखों में
सब बांध रहे हैं पुल तारीफों के
सब लगे हैं साबित करने में खुद को सबसे श्रेष्ठ आशिक…
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है
इनबॉक्स में आने बालों की
उम्र, जाति, मजहब, नाम— सब अलग हैं,
लेकिन सबकी है एक सी नियत.
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है
इतना आसान भी नहीं है औरत होकर फेसबुक चला पाना...
और इतना भी आसान नहीं है मैसेंजर का इनबॉक्स खोल पाना...
फेसबुक पर एक स्त्री होने का दर्द
बया करना मुश्किल सा है
© Jagdish Chandra jd