...

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Teri soch Mein.
खामोशी को बाँध कर लबों में
तुम्हारे मौन संग कुछ पलों के लिए..
दूर होना चाहती हूँ सारे शोर से
एक पल बस एक पल को
छोड़ सारी चिन्ताएँ भाग-दौड़ बस..

मेरी खामोशी और तुम्हारा मौन
निशब्द हो बातें हमारी
उस पल पूरी हो शिकायते हमारी
उफ्फ !
न जाने कब तारे करवटे ले कर
रात की आगोश में टिमटिमाएगे
कब चाँद की चाँदनी भर मैं अंजुरी में..

तुम्हारे कन्धे पर सिर रख
ठिठुरती ठंड में यादों के अलाव संग
देह की गरमाहट लिए
एक मुलाकात का इंतज़ार बसाए आँखों में
खामोशी साधे ताकती रहती हूँ गहरा नीला आसमान
स्याह होने तलक
कब से ..

आँखों में बसा ये ख़्याल न जाने कब बह निकलता है तुम्हारा नाम सोचते ही....

Bless Evening 🌹🌺🌸🪻