...

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जो कुछ हो सकता था...

जो कुछ हो सकता था,
मैंने हर इशारा करके देख लिया।
इश्क खता है एहसास है हमें,
फिर भी इश्क दोबारा करके देख लिया ।
कितनी मशक्कत जनाब मैंने किये,
ना हो सके तुम यादों से मेरी गुमशुदा ।
मैंने कितनों से इश्क ,
तुम्हारा करके देख लिया।
© sukriti Singh