...

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निग़ाहों में श्मशान लगता !
सूनी आंखों का सपना हर लम्हा लम्हा सुनसान लगता है,
एक चिराग धिमी जल रही जो सफ़र का अंजान लगता है,,

ख़्यालो की तरंगों से ख़्वाब कभी ग़मगीं बेजान लगता है,
हक़िक़त ज़िंदगी की आजमाइश...