...

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नासमझ मैं था.....
तू थी समझदार,
नासमझ मैं था
लकीरें हाथों में थी नहीं,
साथ होने को तैयार मैं था

सफ़र छोटा था,
दूर चलने को तैयार मैं था
तू थी समझदार
नासमझ मैं था

रास्ते धुंधले थे,
चिराग जला रहा मैं था
तू थी समझदार,
नासमझ मैं था